रायपुर। छत्तीसगढ़ में आयोजित राजस्व निरीक्षक (RI) विभागीय परीक्षा अब सियासी और प्रशासनिक टकराव का अखाड़ा बन गई है। पटवारी संघ के कुछ पदाधिकारियों की राजनीतिक चालबाज़ी और द्वेषपूर्ण रवैये के कारण परीक्षा में सफल 147 अभ्यर्थियों का प्रमोशन अब तक अधर में लटका है। इस विवाद से न सिर्फ चयनित कर्मचारियों का भविष्य अटका है बल्कि 216 रिक्त पटवारी पदों की सीधी भर्ती भी रुक गई है। 7 जनवरी 2024 को भाजपा शासन में आयोजित परीक्षा में कई पटवारी संघ पदाधिकारी असफल हो गए थे। असफलता के बाद उन्होंने वरिष्ठता के आधार पर प्रमोशन की मांग करते हुए मंत्री स्तर पर राजनीतिक दबाव बनाना शुरू किया। परिणाम आने के बाद हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई, जिसे कोर्ट ने 1832/2024 केस में खारिज करते हुए परीक्षा प्रक्रिया को पारदर्शी और नियम सम्मत बताया।
झूठी शिकायतों के आधार पर बनी जांच कमेटी
इसके बाद “रिश्तेदारों को पास कराने” जैसे आरोप लगाकर नए सिरे से शिकायतें की गईं, जिनके आधार पर KD कुंजाम कमेटी बनाई गई। कमेटी को 15 दिन में रिपोर्ट देना था, पर तीन महीने में रिपोर्ट तैयार हुई। इसमें 22 सफल अभ्यर्थियों को आपसी रिश्तेदार बताया गया, जबकि असल में केवल 13 रिश्तेदार थे। वहीं 59 असफल रिश्तेदार अभ्यर्थियों का जिक्र तक नहीं किया गया।
00 रिपोर्ट पर हस्ताक्षर से भी इनकार
कमेटी के 5 में से एक सदस्य ने रिपोर्ट पर हस्ताक्षर तक नहीं किया। रिपोर्ट में उन्हीं बिंदुओं को त्रुटिपूर्ण बताया गया जिन्हें पहले हाईकोर्ट खारिज कर चुका था। बावजूद इसके रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई।
00 शासन की दोहरी नीति
हाईकोर्ट ने 14 जनवरी 2025 को 15 दिनों के भीतर चयनितों को ट्रेनिंग भेजने का आदेश दिया, मगर शासन ने इसके दो दिन बाद 16 जनवरी को गृह विभाग को जांच भेज दी। गृह विभाग ने स्पष्ट कर दिया कि वह कोई जांच एजेंसी नहीं है। इस बीच 134 अन्य सफल अभ्यर्थियों ने याचिकाएं दायर कीं (1205/2025 व 1206/2025)। परिणामस्वरूप मामला अब EOW को सौंपा गया, जो आज तक जांच कर रही है।
00 राजनीति का शिकार चयनित अभ्यर्थी
परीक्षा का विज्ञापन कांग्रेस शासन में निकला और परीक्षा भाजपा शासन में हुई — इसी का लाभ उठाकर संघ पदाधिकारियों ने सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को गुमराह किया। परीक्षा रद्द करवाकर वरिष्ठता आधारित प्रमोशन की योजना बनाई गई ताकि पदाधिकारियों का सीधा प्रमोशन हो सके।
00 नुकसान किसका?
216 RI प्रमोशन रुकने से 216 पटवारी पद रिक्त नहीं माने गए, जिससे खुली भर्ती भी रुक गई है। इस साजिश का खामियाजा न सिर्फ चयनित अभ्यर्थियों को, बल्कि आम बेरोजगार युवाओं को भी भुगतना पड़ रहा है।
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