बिलासपुर:- अंचल के प्रतिष्ठित सी एम दुबे स्नाकोत्तर महाविद्यालय बिलासपुर के भूगोल विभाग, समाज कल्याण विभाग, इतिहास विभाग, राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई और एनसीसी विभाग के द्वारा संयुक्त तत्वाधान में आयोजित विश्व जल दिवस के अवसर पर कार्यशाला एवं निबंध लेखन का आयोजन किया गया, शासी निकाय के अध्यक्ष डॉ संजय दुबे जी इस कार्यशाला के लिए शुभकामनाएं प्रेषित कीl
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ संजय सिंह ने कहा कि आने वाले समय में 2030 तक जल की समस्या का सामना करना पड़ सकता है हमें संदेश देना पड़ेगा की जल ही जीवन है इस परिपेक्ष में महाविद्यालय में चयनित कर दो जगह पर सोखता बनाए गए हैं ताकि जल स्तर बना रहे एवं ऐसे पौधे लगाए गए हैं जो पानी को अवशोषित कर जल स्तर को बढ़ाने में सहायक होते हैं अतः विश्व की दृष्टि से यह आवश्यक है कि कुआं ,तालाब इत्यादि स्रोतों को बचाना अति आवश्यक है, शहरों में जितने भी नालियां हैं उसे रीसाइकलिन कर पुनः उपयोग में लाया जा सकता है जैसे सिंगापुर हांगकांग जैसे देश के शहरों में होता है, जल जीवन के आधार है यह मानव जाति की विकास की गाथा से जुड़ी है, आज भी अनेक गांव ऐसे हैं जहां पीने को शुद्ध पानी नहीं मिलता। अतः भविष्य को ध्यान में रखते हुए जल संरक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए।
इस अवसर पर श्रीमति डॉ के. प्रसाद सहायक प्राध्यापक भूगोल ने जल की सदुपयोग एवं संरक्षण पर सारगर्भित व्याख्यान देते हुए कहा कि आगामी पीढ़ी के लिए जल का बचाव एवं संरक्षण अत्यंत जरूरी है।
इस अवसर पर भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष रोहित लहरे ने कहा कि आज, 22 मार्च, हम सभी यहाँ विश्व जल दिवस के अवसर पर एकत्रित हुए हैं। यह दिन हमें जल के महत्व को समझने और उसके संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाने की प्रेरणा देता हैl जल केवल एक प्राकृतिक संसाधन नहीं, बल्कि जीवन का मूल आधार है। पृथ्वी पर 70% जल उपलब्ध होने के बावजूद, केवल 2.5% मीठा जल हमारे उपयोग के लिए है। उसमें से भी अधिकांश ग्लेशियरों और बर्फ की चादरों में बंद है। इसका अर्थ यह है कि हमें जो पानी मिलता है, वह अत्यंत सीमित और मूल्यवान है।
जल संकट: एक गंभीर चुनौती है आज दुनिया के कई हिस्सों में लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। भारत सहित कई देशों में भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है। जलवायु परिवर्तन, अत्यधिक दोहन और जल प्रदूषण इस संकट को और गहरा बना रहे हैं। यदि हमने अभी से जल संरक्षण के प्रयास नहीं किए, तो आने वाली पीढ़ियों को गंभीर संकट का सामना करना पड़ेगा।संयुक्त राष्ट्र ने 1993 में विश्व जल दिवस मनाने की शुरुआत की थी। इसका मुख्य उद्देश्य जल की अहमियत को समझाना और लोगों को जल संरक्षण के लिए प्रेरित करना है। हर वर्ष, इस दिन की एक विशेष थीम होती है, जो हमें जल से जुड़ी एक महत्वपूर्ण समस्या पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करती है। जो हमें जल सुरक्षा और सतत विकास की दिशा में सोचने का अवसर देती है।
हम सबकी यह नैतिक जिम्मेदारी है कि जल का दुरुपयोग न करें और इसे संरक्षित करने के हरसंभव प्रयास करें। आइए, हम आज यह संकल्प लें—
” हर बूंद की कीमत समझेंगे, जल की बर्बादी नहीं करेंगे। जल बचाएँगे, जीवन बचाएँगे!”
इस अवसर पर उपस्थित छात्र-छात्राओं ने जल के महत्व पर निबंध लेखन भी प्रस्तुत किए।कार्यक्रम का संचालन रोहित लहरे ने किया महाविद्यालय के प्राध्यापक गण डॉ के के शुक्ला, डॉ विनोद एक्का, प्रो नरेंद्र टंडन , प्रो गौरव सिंह, प्रो रामेश्वर पटेल, प्रो दीपक सेठ व साथ ही एनएसएस के पुष्पराज मानिकपुरी, जितेन डिक्सेना, अंकुर , नारायण रात्रे और एनसीसी के कैडेट्स मुस्कान, अलवीरा, लकी चंद्रा, हर्ष, अंश सोनवानी, सुजेन , आरूषी , हिम्लेश्वरी, ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया l
विज्ञापन एवं समाचार प्रकाशित करवाने हेतु संपर्क करें Prabhat Chhattisgarh ( Prabhat Sonchhatra
Prabhatsonchhatra@gmail.com
https://www.prabhatchhattisgarh.in
More Stories
छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी अधिकरण के अध्यक्ष पद पर नारायण सिंह की नियुक्ति
पटवारी संघ के विरोध से अटका प्रमोशन, सफल अभ्यर्थी न्याय के इंतज़ार में
मस्तूरी विधानसभा अंतर्गत ग्राम जुनवानी में धोबी समाज की बैठक सम्पन्न, 20 तारीख को सम्मेलन में पहुंचने का आह्वान